बुधवार, 17 अक्तूबर 2012

सबक सिखाती जिन्दगी



तन्हाइयां देख दर्द , 
अक्सर दस्तक देती रही | 
किसी से कुछ न कह ...
खामोशियों में पलती रही | 
आह ने जब भी , भीतर करवट ली |
माहोले सुकून में , गमगिनियाँ सी छाती रही |
ये बेजुबान दर्द ही , जीने के मायने समझाती रही |
और बेहतर जिन्दगी कि खातिर , ये हरदम मेरे साथ रही |

5 टिप्‍पणियां:

देवेंद्र ने कहा…

दर्द ही तो प्यार का सही अहसास है। दिल को छूता गीत।
देवेन्द्र
शिवमेवम् सकलम् जगत

mridula pradhan ने कहा…

ये बेजुबान दर्द ही , जीने के मायने समझाती रही |
और बेहतर जिन्दगी कि खातिर , ये हरदम मेरे साथ रही | sunder bhaw......

महेन्‍द्र वर्मा ने कहा…

दर्द भी जिंदगी की एक परिभाषा गढ़ती है।
अच्छी रचना।

शारदा अरोरा ने कहा…

aap ke lekhan me aatma hai ..nisandeh..

Rajput ने कहा…

दर्द ही एहसासात को जागता है , दर्द से ही सुख की चरमसीमा निर्धारित होती है। बहुत सुंदर ।