गुरुवार, 14 अप्रैल 2011

पतंग का अविष्कार

ऐसा माना जाता है की पतंग का अविष्कार चीन में हुआ | दुनियां की पहली पतंग 469 बीसी में बनाई गई थी | धीरे - धीरे पतंगें बर्मा , जापान , कोरिया , अरब , उत्तरी  अफ्रीका और भारत में नज़र आने लगी | प्रारंभिक दिनों में केवल रेशम के महीन कपडे  से ही पतंगों का निर्माण होता था , क्युकी ये वजन में हल्की होने के कारण आसानी से उड़ सकती थी | धीरे - धीरे इसके विस्तार के साथ ही इसे बनाने के लिए  अन्य  महीन कपड़ों का उपयोग किया जाने लगा | कागज का अविष्कार होने के बाद से पतले कागज को ही पतंग बनाने के लिए उपयुक्त माना गया | गौर करने वाली बात ये है कि पतंगों के पारम्परिक से लेकर आधुनिक रूप तक बांस का प्रयोग निरंतर जारी रहा | भारत की लोक भाषा में पतंग को कनकौए या कनकैया कहकर पुकारा जाता था | थाईलेंड में पतंगें वंश परम्परा की प्रतीक रहीं हैं | थाईलैंड के लोग अपनी प्रार्थनाओं को भगवान तक पहुँचानें के लिए बरसात के दिनों में अपनी - अपनी पतंगें उड़ाया करते थे | बाली में जुलाई महीने के अंत में एक उत्सव में पतंगें उड़ाकर ईश्वर से अच्छी फसल और खुशहाली की प्रार्थना की जाती है | बरमूडा में इस्टर के अवसर पर बांस व् रंगीन धागों से बनी पतंगें उड़ानें का चलन है | इस तरह राजस्थान , वाराणसी , अहमदाबाद , जयपुर , वडोदरा , हैदराबाद आदि में मकर संक्रांति पर पतंग  उड़ाने का प्रचलन है और इस दिन को लोग विशेष रूप से मनातें हैं |