शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2011
स्वभाव
" स्वभाव कच्ची मिटटी की भांति होता है ,
जिसकी कोई शक्ल नहीं होती ,
इसे आकृति देने की आवश्कता होती है !
बुधवार, 23 फ़रवरी 2011
चरित्रवान बनो
चरित्रवान बनो , संसार स्वयं तुम पर मुग्ध होगी ! फूल खिलने दोगे तो मधुमंखियाँ स्वतः ही चली आएँगी!
रविवार, 20 फ़रवरी 2011
प्रेम दो मांगो नहीं
प्रेम को परखो , प्रेम को देखो
प्रेम मै ही कुछ गलत छिपा है
प्रेम के वस्त्रो मै है जंजीरे
बाहर आवरण , अन्दर कुछ और छुपा है
तुम बनना तो चाहते हो उसके मालिक
और करना चाहते हो उसपर कब्ज़ा...
प्रेम तो कोई वस्तु नहीं ?
जो तुम उसका करो एसे उपयोग
उससे होता उसका अपमान ...
क्युकी कोई नहीं परतंत्रता चाहता
अगर प्रेम तुम चाहते हो
तो बंधन मै क्यु बाँधते हो ?
इसी शर्त से प्रेम को है डर लगता
और इसी डर से वो हमसे दूर है रहता
इसलिए अपने प्रेम को एसे तुम शुद्ध करो
तुम दो सबको , और मांगने की इच्छा ...
हरगिज़ तुम ना करो !
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