शनिवार, 3 अगस्त 2013

ख्याल



कौन हो तुम ?
कहाँ से आते हो ?
कहाँ चले जाते हो ?
कब आते हो ?
कब चले जाते हो ,
पता ही नहीं चलता 
पर हाँ ...
जब भी आते हो ...
जहन में सवाल छोड़ जाते हो ,
एक नाता सा जुड़ गया है तुमसे
कोई तो है ...
जो दिल के बहुत करीब है
बस इतना कहूँगी ...
मिलना एक बार फिर
ऐसे ही अंत से पहले |

बुधवार, 17 अप्रैल 2013

खमोशी


चुप रहकर जो खुद को निहारा मैंने |
अपने भीतर ही सबको पा लिया मैंने |
ढूंडती फिर रही थी जिसे मैं दर - बदर |
अहसास से ही उसको तराश लिया मैंने |

एक छोटी सी मुस्कान बस

कही बारूद मंदिर में , कही शोले हैं मस्जिद में ,
खुदा महफूज़ रखे हम सबको इस छोटे से घरोंदे में |