शनिवार, 8 दिसंबर 2012

सिर्फ अहसास



जब रात चूल्हे की आग सी ...
जलती है बुझी - बुझी |
तब चांदनी रात में यादें ...
करवट लेती हैं कभी - कभी |
एक खूबसूरत अहसास ...
सजा देती है मंजर को |
एक खामोश चुभन ...
फिर से रचती है नए कलाम |