शुक्रवार, 2 मार्च 2012
ख़ामोशी
खमोश रहकर जो खुद को निखारा मैंने |
अपने भीतर ही सब कुछ पा लिया मैंने |
ढूंडती फिर रही थी जिसे मैं दर - बदर |
अहसास से ही उसको तराश लिया मैंने |
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