एक बार तमन्ना से , हम सवाल कर बैठे |
ओ तमन्ना ... तुम पूरी क्यों नहीं होती ?
उसने बड़े खूबसूरत अंदाज़ में ...
मुस्कराकर हमसे ही सवाल कर लिया ,
और वो बोली ...
मुझसे थी जिन्दगी या जिन्दगी से मैं थी ?
मैं तो हर तमन्ना में खुशी लेकर थी आती |
जब तुम ही न समझते , तो मैं क्या करती ?
तमन्ना हूँ एक ही बार में , पूरी कैसे हो जाती |