बुधवार, 17 अक्तूबर 2012

सबक सिखाती जिन्दगी



तन्हाइयां देख दर्द , 
अक्सर दस्तक देती रही | 
किसी से कुछ न कह ...
खामोशियों में पलती रही | 
आह ने जब भी , भीतर करवट ली |
माहोले सुकून में , गमगिनियाँ सी छाती रही |
ये बेजुबान दर्द ही , जीने के मायने समझाती रही |
और बेहतर जिन्दगी कि खातिर , ये हरदम मेरे साथ रही |

मंगलवार, 16 अक्तूबर 2012

फुर्सत में




आइने के सामने से , जो मैं गुजरी 
तो , उसी पल ठिठक कर , ठहर गई |
चेहरे पर , उम्र की लकीरों को देख...
यक़ीनन मैं थी डर गई |
पर उसी पल होंठों पर 
सुकूने मुस्कान भी बिखर गई |
शायद दिल में ... बीते लम्हों को 
इत्मिनान से जीने का सकून था |
और आज भी खुद पर भरोसा मुझे बेहिसाब था |