शनिवार, 3 अगस्त 2013

ख्याल



कौन हो तुम ?
कहाँ से आते हो ?
कहाँ चले जाते हो ?
कब आते हो ?
कब चले जाते हो ,
पता ही नहीं चलता 
पर हाँ ...
जब भी आते हो ...
जहन में सवाल छोड़ जाते हो ,
एक नाता सा जुड़ गया है तुमसे
कोई तो है ...
जो दिल के बहुत करीब है
बस इतना कहूँगी ...
मिलना एक बार फिर
ऐसे ही अंत से पहले |

5 टिप्‍पणियां:

Dr. Shorya ने कहा…

वाह , बहुत सुंदर





यहाँ भी पधारे

गजल
http://shoryamalik.blogspot.in/2013/08/blog-post_4.html

बेनामी ने कहा…

बहुत सुंदर

Harihar (विकेश कुमार बडोला) ने कहा…

अंत से पहले मिलने की यह प्रार्थना सच्‍ची लगती है।

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बहुत अच्छी रचना !

Minakshi Pant ने कहा…

शुक्रिया दोस्तों |