शनिवार, 8 दिसंबर 2012

सिर्फ अहसास



जब रात चूल्हे की आग सी ...
जलती है बुझी - बुझी |
तब चांदनी रात में यादें ...
करवट लेती हैं कभी - कभी |
एक खूबसूरत अहसास ...
सजा देती है मंजर को |
एक खामोश चुभन ...
फिर से रचती है नए कलाम |

6 टिप्‍पणियां:

अजय कुमार झा ने कहा…

बहुत ही खूबसूरत पंक्तियां मीनाक्षी जी

Minakshi Pant ने कहा…

बहुत - बहुत शुक्रिया अजय जी |

Shashi Kant Singh ने कहा…

बहुत ही सुन्दर रचना

बहुत अच्छा लगा. धन्यवाद

Unknown ने कहा…

umda Rachna ....
एक खामोश चुभन ...
फिर से रचती है नए कलाम |
http://ehsaasmere.blogspot.in/

Jyoti khare ने कहा…

सटीक और
सुंदर प्रस्तुति
बहुत बहुत बधाई

आग्रह है मेरे ब्लॉग jyoti-khare.blogspot.in
में सम्मलित हों ख़ुशी होगी

Minakshi Pant ने कहा…

bahut - bahut shukriya dosto .