मंगलवार, 22 मार्च 2011

दृष्टि का अंतर

    
विदेश में एक बार स्वामी विवेकानंद के गेरुए कपडे देखकर सड़क पर
चलने वाले हंस पड़े | स्वामी जी ने मुस्कुराते हुए इतना ही कहा __ ' आपके 
देश में मनुष्य को दर्जी सभ्य बनाता है , पर में उस देश से आया हूँ , जहां ज्ञान 
और त्याग से सभ्य बना जाता है | '

________________________________________________________________________________________पवित्र हाथ ________


         
      गुरु गोविन्द सिंह जी को प्यास लगी  , उन्होंने गाँव में जाकर कहा  _
' मुझे पवित्र हाथों  से पानी पीना है | ' लोग हाथ धोकर और बर्तन मांझ कर पानी लाये |
गुरु ने कहा ___ ' हाथ परमार्थ के लिए श्रम करने से पवित्र होते हैं |मेरा तात्पर्य एसे ही
सज्जन के हाथों से जल पीने से था | 'वैसा व्यक्ति न मिलने पर वे प्यासे ही आगे बढ़ गए |

2 टिप्‍पणियां:

Bharat Bhushan ने कहा…

दुर्लभ विचारों का संकलन करती पोस्ट. बहुत बढ़िया.

mridula pradhan ने कहा…

bahut sundar post.