बुधवार, 7 दिसंबर 2011

पहचान


क्या मज़ा जिंदगी में जिसमे  तू - तू न रहे |
क्या मज़ा जिंदगी में जिसमे मैं - मैं न रहूँ  |
मज़ा तो तब है जब कुछ ऐसा हो जाये |
की मैं - मैं ही रहूँ और तू - तू  ही  रहे |

3 टिप्‍पणियां:

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

मैं और तुम... बहुत बढ़िया कविता...

Maheshwari kaneri ने कहा…

बहुत बढ़िया...

Minakshi Pant ने कहा…

अरुण जी और माहेश्वरी जी आप दोनों का शुक्रिया दोस्त |