तन्हाइयां देख दर्द ,
अक्सर दस्तक देती रही |
किसी से कुछ न कह ...
खामोशियों में पलती रही |
आह ने जब भी , भीतर करवट ली |
माहोले सुकून में , गमगिनियाँ सी छाती रही |
ये बेजुबान दर्द ही , जीने के मायने समझाती रही |
और बेहतर जिन्दगी कि खातिर , ये हरदम मेरे साथ रही |
5 टिप्पणियां:
दर्द ही तो प्यार का सही अहसास है। दिल को छूता गीत।
देवेन्द्र
शिवमेवम् सकलम् जगत
ये बेजुबान दर्द ही , जीने के मायने समझाती रही |
और बेहतर जिन्दगी कि खातिर , ये हरदम मेरे साथ रही | sunder bhaw......
दर्द भी जिंदगी की एक परिभाषा गढ़ती है।
अच्छी रचना।
aap ke lekhan me aatma hai ..nisandeh..
दर्द ही एहसासात को जागता है , दर्द से ही सुख की चरमसीमा निर्धारित होती है। बहुत सुंदर ।
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