वक्त के गुजरने का न तुम इंतज़ार करो |
लड़ो मुसीबतों से वक्त को न बदनाम करो |
वक्त को भी हम सब ने मिलकर बनाया है |
सुइयों को थामने से वक्त कहाँ रुक पाया है |
क्या मज़ा जिंदगी में जिसमे तू - तू न रहे |क्या मज़ा जिंदगी में जिसमे मैं - मैं न रहूँ |मज़ा तो तब है जब कुछ ऐसा हो जाये |की मैं - मैं ही रहूँ और तू - तू ही रहे |