शनिवार, 10 दिसंबर 2011

वक्त


वक्त के गुजरने का न तुम इंतज़ार करो |
लड़ो मुसीबतों से वक्त को न बदनाम करो |
वक्त को भी हम सब ने मिलकर बनाया है |
सुइयों को थामने से वक्त कहाँ रुक पाया है |

बुधवार, 7 दिसंबर 2011

पहचान


क्या मज़ा जिंदगी में जिसमे  तू - तू न रहे |
क्या मज़ा जिंदगी में जिसमे मैं - मैं न रहूँ  |
मज़ा तो तब है जब कुछ ऐसा हो जाये |
की मैं - मैं ही रहूँ और तू - तू  ही  रहे |