आज भी घर की दीवारों के
रंग रोगन को कहीं - कहीं से खुरचा मैंने |
घर में रखी सभी किताबों के
वर्क को पलट - पलट कर देखा मैंने
उसकी जुबाँ से कुछ लफ्ज़ अब भी
सुनने बाकि थे |
बस एक इसी उम्मीद से कि शायद ...
कहीं लिख कर रख गया होगा |
हाँ आज उसी एक उम्मीद से
उसकी हर चीज़ को फिर से तलाशा मैंने |
13 टिप्पणियां:
Minakshi PantOctober 10, 2012 4:11 PM
जीवन में सुख दुःख की स्थिति कभी भी एक सी नही रहती.जब सब कुछ मन के अनुकूल होता है तो सुख का
अनुभव होता है और जब भी कुछ मन के प्रतिकूल होता है तो दुःख का अनुभव होता है. अमूढ़ अपने मन की स्थिति को समझ कर मन में परिवर्तन
आसानी से कर लेता है. वह मन की प्रतिकूलता को अपने सद-चिंतन से अनुकूलता में परिवर्तित करना जानता है.सुख में वह प्रमादित नही होता और दुःख
में भी वह परमात्मा की किसी छिपी सीख का ही अनुभव करता हुआ सुख का ही अनुभव करता है. इस प्रकार परम अव्ययं पद की यात्रा अमूढ होकर सुख
दुःख का संग लेते हुए धैर्यपूर्वक करनी होती है.
आपकी ये चंद पंक्तियों ने जीवन का सार सीखा।।।।।सिखा .......... दिया बहुत खूबसूरत विश्लेषण बेहद खूबसूरत पोस्ट जय श्री राम क्युकी।।।।।।(क्योंकि ......) मैंने सुना है हनुमान जी राम जी
के भगत से बहुत प्रसन्न रहते हैं | :)
Minakshi PantOctober 10, 2012 4:11 PM
जीवन में सुख दुःख की स्थिति कभी भी एक सी नही।।।।(नहीं )...... रहती.जब सब कुछ मन के अनुकूल होता है तो सुख का
अनुभव होता है और जब भी कुछ मन के प्रतिकूल होता है तो दुःख का अनुभव होता है. अमूढ़ अपने मन की स्थिति को समझ कर मन में परिवर्तन
आसानी से कर लेता है. वह मन की प्रतिकूलता को अपने सद-चिंतन से अनुकूलता में परिवर्तित करना जानता है.सुख में वह प्रमादित नही होता और दुःख
में भी वह परमात्मा की किसी छिपी सीख का ही अनुभव करता हुआ सुख का ही अनुभव करता है. इस प्रकार परम अव्ययं पद की यात्रा अमूढ होकर सुख
दुःख का संग लेते हुए धैर्यपूर्वक करनी होती है.
आपकी ये चंद पंक्तियों ने जीवन का सार सीखा।।।।।सिखा .......... दिया बहुत खूबसूरत विश्लेषण बेहद खूबसूरत पोस्ट जय श्री राम क्युकी।।।।।।(क्योंकि ......) मैंने सुना है हनुमान जी राम जी
के भगत से बहुत प्रसन्न रहते हैं | :)
मेरे बारे में
Minakshi Pant
मेरा अपना परिचय आप सबसे है जो जितना समझ पायेगा वो उसी नाम से पुँकारेगा।।।।।।।।(पुकारेगा )....... हाँ मेरा उद्द्श्ये।।।।(उद्देश्य )...... अपने लिए कुछ नहीं बस मेरे द्वारा लिखी बात से कोई न कोई सन्देश देते रहना है की ज्यादा नहीं तो कम से कम किसी एक को तो सोचने पर मजबूर कर सके की हाँ अगर हम चाहे तो कुछ भी कर पाना असंभव नहीं और मेरा लिखना सफल हो जायेगा की मेरे प्रयत्न और उसके होंसले ने इसे सच कर दिखाया |
आज भी घर की दीवारों के
रंग रोगन को कहीं - कहीं से खुरचा मैंने |
घर में रखी सभी किताबों के
वर्क को पलट - पलट कर देखा मैंने
उसकी जुबाँ से कुछ लफ्ज़ अब भी
सुनने बाकि थे |.....................................सुनने बाकी थे .......बाकी
बस एक इसी उम्मीद से कि शायद ...
कहीं लिख कर रख गया होगा |
हाँ आज उसी एक उम्मीद से
उसकी हर चीज़ को फिर से तलाशा मैंने |
बहुत सटीक रचना है आपकी राग से संसिक्त ,अनुराग पूरित .आस का दर्शन जीवन के प्रति .बहुत खूब .
आज भी घर की दीवारों के
रंग रोगन को कहीं - कहीं से खुरचा मैंने |
घर में रखी सभी किताबों के
वर्क को पलट - पलट कर देखा मैंने
उसकी जुबाँ से कुछ लफ्ज़ अब भी
सुनने बाकि थे |.....................................सुनने बाकी थे .......बाकी
बस एक इसी उम्मीद से कि शायद ...
कहीं लिख कर रख गया होगा |
हाँ आज उसी एक उम्मीद से
उसकी हर चीज़ को फिर से तलाशा मैंने |
बहुत सटीक रचना है आपकी राग से संसिक्त ,अनुराग पूरित .आस का दर्शन जीवन के प्रति .बहुत खूब .
सौद्देश्य लेखन और सकारात्मक ऊर्जा से पूरित रहने के लिए बधाई .! बधाई !बधाई !
कम शब्दों में बहुत गहन बात बहुत प्यारी सार्थक रचना बहुत पसंद आई ----उसके जाने के बाद उसकी परछाई को ढूंढते हैं
सुख और दुख भी तो एक अहसास ही तो हैं।वरना जीवन तो एक गति मात्र है, परिवर्तन ही इसकी नियति है। गंभीर चिंतन।
बहुत २ शुक्रिया Virendra Kumar Sharma जी जितना हमने लिखा नहीं उससे ज्यादा आपने हमारा उत्साह बड़ा दिया बहुत २ शुक्रिया |
बहुत - बहुत शुक्रीया Rajesh Kumari जी आपने बहुत सही बात कही |
Devendra Dutta Mishra जी मैं आपकी बात से पूरी तरह सहमत हूँ बहुत २ शुक्रिया |
bahut achcha laga aapke blog par aana .......................koshish karungi k regular aana ho .
बहुत - बहुत शुक्रिया नीलम जी आपका हमेशा इंतज़ार रहेगा |
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