शुक्रवार, 2 दिसंबर 2011

घरोंदा


ये जो तिनको - तिनको में बिखरा है घरोंदा अपना |
जरा समेट कर लाओ की बन जाये आशियाँ अपना |

3 टिप्‍पणियां:

RAMKRISH ने कहा…

waaaaaaaaaaaaah

दिगम्बर नासवा ने कहा…

लाजवाब शेर ... इन तिनकों से ही तो आशियाँ बनना है ...

mridula pradhan ने कहा…

khoobsurat......